भारत में बस्तुओ की बिक्री से सम्बंधित कानून जो भारतीय अनुबंध अधिनियम के अध्याय 7 में शामिल किये गये थे ! वे समुदाय की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रयाप्त नहीं थे 1929 में विख्यात अभिव्कताओ की एक विशेष समिति ने प्रारूप विधेयक का अद्ययन किया और इस समिति दुवरा संशोधित प्रारूप विधेयक और बाद में विधायिका की प्रवर समिति दुवरा जाचे गए प्रारूप विधेयक को 1 जुलाई 1930 को भारतीय बस्तु बिक्री कानून बना दिया !

                                                    पहले शुरुवाती दौर में जब इस अधिनियम ( SALE OF GOODS ACT 1930 ) को बनाया गया तो इसका नाम INDIAN SALE OF GOODS ACT 1930 ( भारतीय बस्तु बिक्री अधिनियम 1930 ) रखा था क्योकि यह ACT अगेजो दुवरा बनाया गया था जब भारत आजाद हुआ तो 22 सितम्बर 1963 की एक संशोधन दुबारा माल का बिक्री अधिनियम ( SALE OF GOODS ACT 1930 ) कर दिया गया ! अर्थात इंडिया शब्द को हटा दिया !



महत्वपूर्ण परिभाषाएं : -

1 Goods ( माल ) : sale of goods act 1930 का section 2 में goods ( माल ) की परिभाषा को समझाया गया है इसके अनुसार हर तरहा की चल सम्पति ( movable property ) को goods कहा जाता है केवल 2 movable property को छोड़कर - 

  अ. Actionable claims ( कार्यवाही के दाबे ) जैसे लोटरी 

  ब. Money ( पैसे ) - जिसमे स्टॉक शेयर, बदती हुई फसले ( growing crops ), कोई भी ऐसा सामान जो भूमि से जुडा हुआ है इत्यादि sale of goods act 1930 के अंदर चल सम्पति ( movable property ) के अंदर शामिल नहीं होते है !

2 क्रेता और विक्रेता : क्रेता का अर्थ, जो खरीदता है या फिर खरीदने को राजी होता है ! और विक्रेता का अर्थ वह व्यक्ति जो बेचते है या बेचने को राजी होते है ! दोनों शब्द ( क्रेता - विक्रेता ) एक दुसरे से जुड़े है और खरीदने व् बेचने के अनुबंध में दोनों पक्ष प्रतिनिधित्व करते है !

3 विद्द्य्मान वस्तुए : इसका अर्थ है की वे बस्तु जो बिक्री के अनुबंध के समय अस्तिव में है !

4 भाबी वस्तुए : इसका अर्थ है की वे वस्तुए जो बिक्री का अनुबध होने के बाद विक्रेता दुबारा उत्पादित या विनिर्मित की जा रही है !

5 विशेष वस्तु : इसका अर्थ है वे बस्तु जो बिक्री के अनुबध के समय पहचानी गयी है और जिन पर राजी नाम है ! 

 Sale और agreement to sale : बिक्री का अनुबंध ने अंदर माल की बिक्री दो प्रकार से हो सकती है - 

 1 sale ( बिक्री ) : जब माल की बिक्री के समय ही बस्तु के स्वामित्व का हस्तांतरण कर दिया जाता है तो उसे विक्री ( sale ) कहते है !

2 Agreement to sale ( बेचने का समझोता ) : जब माल की बिक्री के समय बस्तु के स्वामित्व का हस्तांतरण नहीं करके भविष्य में किसी दिन किया जाता है तो यह बिक्री का समझोता कहलाता है सामान्यता बिक्री के समझोता में बस्तु व् कीमत दोनों का ही भुगतान भविष्य में किया जाता है !

 Agreement to sale ( बिक्री का समझोता ), sale ( बिक्री ) बन जाता है जब agreement to sale का टाइम पूरा हो जाता है ! या स्वामित्व हस्तांतरण की सभी शर्त पूरी हो जाती है !

 विक्रय का अनुबंध करते समय निम्नलिखित बातो का समाबेश होना चाहिए : -

1 कम से कम दो पक्ष का होना चाहिए क्रेता और विक्रता

2 माल के स्वामित्व हक या तो तुरंत ट्रांसफर हो जायेगा या माल पहले लेने और पैसा बाद में देने पर agreement to sale होना चाहिए !

3 अनुबंध करने का उद्देश्य sale of goods act 1930 के अंदर बताये गए माल से सम्बन्ध में ही होना चाहिए !

4 बिक्री का अनुबंध लिखकर या बोलकर भी किया जा सकता है !

5 वो सारे अनिवार्य तत्व जो वैध अनुबन्ध के लिए जरुरी होते है वो सभी इसके अंदर होने चाहिए !



 बिक्री और बिक्री के समझोता में अंतर : -