सुचना का अधिकार  अधिनियम 2005                

   2004 में जब कांग्रेस सरकार सत्ता में आयी उस समय मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे ! 2004 से 2014 तक कांग्रेस सरकार सत्ता में  रही इस बीच सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धी में RTI Act 2005 शामिल था !

            11 मई 2005 को RTI Act बिल लोकसभा से व् 12 मई 2005 में इसे राज्य सभा से पास किया गया 15 जून 2005 को राष्ट्रपति ने  इस बिल पर हस्ताक्षर करके स्वीकृति दे दी थी ! उसके बाद सभी प्राधिकारियों को अपने कार्यो का डाटा व्यवस्था करने के लिए 120  दिन का समय दिया गया ताकि अधिनियम लागु होने के बाद पब्लिक जैसे ही सूचना मांगे उन्हें सही सूचना समय पर मिले ! और इस  तरह 15 जून 2005 को राष्ट्रपति की स्वीकृति दिनाक के 120 दिन बाद 12 अक्तूबर 2005 को यह अधिनियम सम्पुरण भारत में लागु  किया गया !

              RTI act 2005 लाने का मुख्य उद्देश्य यह था जब हमारी सरकार को यह महसूस हुआ की दुनिया पारदर्शिता की और जा रही है तो  सरकार को लगा की हम भी देश में सरकार और आम जनता के बीच पारदर्शिता लेकर आयेगे ! इसी पारदर्शिता दिखाने के लिए RTI  act 2005 लेकर आई ! इसके आलावा सरकार के कुशल संचालन, सीमित राजकोषीय संसाधन का अनुकूल उपयोग करना, लोगो के  लिए वास्तविक अर्थो में लोकतंत्र का काम करना है ! भष्टाचार को कम करने में RTI को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है !

                RTI act 2005 प्रत्येक नागरिक को सार्वजनिक विभागों से उसकी सुचना प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है ! ताकि सरकार को  जनता के प्रति जबाब देहि बनाया जा सके ! RTI act के तहत सार्वजनिक विभागों से उनके कार्य का विवरण , उनकी कॉपी का  रिकार्ड, डिस्क के रूप में या विडियो के रूप में सुचना प्राप्त कर सकते है !

RTI Act से पहले भारतीय संविधान में 2 Article होते थे Article 19(अ) व् Article 21

Article 19 (अ) हमें बालने व् सुनने का अधिकार प्रदान करते है !

Article 21 हमें जीने का अधिकार व् जानने का अधिकार प्रदान करते है !


RTI Act 2005 धारा 3

RTI Act 2005 की धारा 3 यह बताती है की सूचना प्राप्त करने का अधिकार किसको है वास्तविकता में RTI act दुवरा सुचना प्राप्त  करने का अधिकार केवल भारतीय नागरिको के पास है ! विदेशी कोई भी इस अधिनियम के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है कोई भी  भारतीय नागरिक को किसी भी बिभाग चाहे वह राज्य सरकार के विभाग हो या चाहे वह केंद्र सरकार के विभाग हो सभी को सुचना  के अधिकार के तहत सुचना प्राप्त करने का अधिकार है !

 

RTI Act 2005 धारा 5

RTI Act 2005 की धारा 5 बताती है की RTI की अपील APIO ( Assistant Public Information Officer ) या PIO  ( Public information office ) को भेजनी होगी !


RTI Act 2005 धारा 6

RTI act 2005 की धारा 6 में बताया गया है की कैसे अपील करनी है कोई भी व्यक्ति जो APIO / PIO से सूचना प्राप्त करना  चाहता है वह सूचना का आवेदन लिखित में या ऑनलाइन करेगा ! जिसके साथ कुछ निर्धारित फीस देनी होगी साथ ही यह बताना  होगा की सुचना किस चीज के बारे में प्राप्त करना चाहते है !


RTI Act 2005 धारा 7

RTI act 2005 की धारा 7 में बताया गया है की एक RTI का जबाब कितने दिनों में दिया जायेगा ! RTI का जबाब निम्न प्रकार  प्राप्त होगा -

1 यदि RTI का आवेदन APIO को किया गया है तो उसका जबाब 30 दिनों के अंदर प्राप्त हो जायेगा !

2 यदि RTI का आवेदन PIO को किया गया है तो उसका जबाब भी 30 दिनों के अंदर प्राप्त हो जायेगा !

3 यदि RTI के दुवरा इस प्रकार की सुचना प्राप्त की जा रही है जो उसके जीवन से सम्बंधित है तो ऐसी सुचना का जबाब 48 घंटे के  अंदर प्राप्त हो जायेगा !

4 यदि RTI में सुचना किसी थर्ड पार्टी से मांगी गयी है तो 40 दिनों के अंदर सुचना प्राप्त हो जाएगी !

      यदि RTI का जबाब उपरोक्त समय रहते नहीं दिया गया या आवेदन को रद्द कर दिया बो भी बिना कारण बताये तो ऐसी दशा में  व्यक्ति अपील कर सकता है धारा 19 के अनुसार !


RTI Act की धारा 19

RTI act की धारा 19 : यह धारा कहती है की कोई भी व्यक्ति जिसने APIO से सुचना प्राप्त करने के लिए आवेदन किया था और  APIO ने उसका आवेदन को विना कारण बताये ही रद्द कर दिया या फिर 30 दिनों में जबाब नहीं दिया है तो ऐसी दशा में सूचना  मागने वाला व्यक्ति अपील कर सकता है वह अपील PIO के पास आवेदन रद्द करने के 30 दिनों बाद तक कर सकता है ! यदि अपील  करने में देरी होती है तो उचित करना बताना होगा !

          यदि PIO ने भी 30 दिनों तक अपील का जबाब नहीं दिया है या अपील को रद्द कर दिया है तो दूसरी अपील अगले 90 दिनों  में सूचना आयोग ( Information commission ) को कर सकता है !


सूचना आयोग ( Information commission )

सूचना आयोग ( Information commission ) : सूचना आयोग दो लेवल पर होते है -

1 State information commission - SIC : यदि मांगी गयी सुचना राज्य सरकार विभाग से सम्बंधित थी तो दूसरी अपील SCI  को जाती है ! यदि व्यक्ति SCI दुवरा दी गयी सुचना से संतुष्ट नहीं है तो वह हाईकोर्ट में निर्णय के लिए जा सकता है !

2 Central Information Commission - CIC : यदि मांगी गयी सुचना केंद्र सरकार से सम्बंधित है तो दूसरी अपील CIC को  जाती है ! यदि CIC दुवरा दी गयी सुचना से संतुष्ट नहीं है तो वह सुप्रीम कोर्ट में निर्णय के लिए जा सकता है !

 

RTI Act 2005 धारा 20

RTI act 2005 की धारा 20 (Penalty on PIO/APIO) : यदि कभी व्यक्ति का आवेदन को PIO/APIO अस्वीकार कर दिया  या आवेदन रद्द कर दिया वह भी बिना कारण बताए या आवेदन को स्वीकार तो कर लिया लेकिन उसमें दी गई सूचना  गलत या अधूरी सूचना थी या मांगी गई सूचना का आवेदन को फाड दिया या मांगी गई सूचना के बारे में ना तो खुद ने  सूचना दी ना ही किसी अन्य को सूचना देने दिया अर्थात सूचना प्राप्त करने से रोका गया तो सभी मामलों में PIO/APIO  को प्लेंटी का प्रावधान भी इस अधिनियम में दिया गया है यह प्लेंटी ₹250 प्रतिदिन के हिसाब से 100 दिन तक अर्थात  ₹25000 तक प्लेंटी लगाई जा सकती है !


RTI Act 2005 धारा 23

RTI act 2005 की धारा 23 : वैसे तो हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट को आरटीआई एक्ट 2005 से दूरी बनाने को कहा गया है  लेकिन यदि व्यक्ति दूसरी अपील सूचना आयोग से मिली सूचना से संतुष्ट नहीं है तो वह व्यक्ति SCI के मामले में हाईकोर्ट  और CIC के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दे सकता है सुप्रीम कोर्ट व् हाईकोर्ट से छोटे को कोर्ट आरटीआई से कोई लेना  देना नहीं है !


RTI Act 2005 धारा 26

इस धारा के अनुसार हमारे देश में सरकार आरटीआई एक्ट के बारे में लोगों को जागरूक करती रहती है - 

1 सरकार लोगों के बीच आरटीआई के बारे में प्रसार करती रहती है !

2 आरटीआई एक्ट का उपयोग किस प्रकार करना है उसकी यूजर गाइड दी हुई है !

3 सरकार ने अलग-अलग विभाग के अलग-अलग PIO/APIO का विवरण भी लोगों को समय समय पर उपलब्ध करवाती  है !

4 लोगों से जागरूकता अभियान भी सरकार समय-समय पर चलाती रहती है !

5 सरकार पब्लिक अथॉरिटी ( सार्वजनिक प्राधिकरण )को भी निर्देश देती रहती है कि अगर जनता कोई सूचना मांगती है  तो आपको जवाब देना होगा !

6 सरकार समय-समय पर आरटीआई एक्ट 2005 के सेक्शन 26  के अनुसार आरटीआई के अधिकारी को ट्रेनिंग प्रदान  करती है !


RTI Act का भोगोलिक व् क्षेत्राधिकार

आरटीआई एक्ट 2005, 12 अक्टूबर 2005 से जम्मू कश्मीर को छोड़कर  संपूर्ण भारत पर लागू हो गया था ! जम्मू कश्मीर ने अपना अलग अधिनियम "स्वतंत्रता और सूचना अधिनियम 2004"  बना रखा था हालांकि 31 अक्टूबर 2019 को धारा 370 हटाने के बाद भारत के सभी अधिनियम जम्मू कश्मीर पर भी  लागू होते हैं ! यह अधिनियम के अनुसार कोई भी राज्य सरकार या केंद्र सरकार का विभाग व कोई भी ऐसा विभाग  जिसको वित्तपोषण यानी फंडिंग सरकार द्वारा हो रही है वह सभी विभाग आरटीआई के दायरे में आते हैं !


सूचना आयोग ( Information Commission ) के अधिकार

किसी भी मामले की पूछताछ के लिए सूचना आयोग के  पास उतनी ही शक्ति होती है जितनी एक नागरिक अदालत के पास है ! 

1 यह सूचना आयोग दस्तावेजों की मांग और निरीक्षण कर सकता है ! 

2 किसी मामले के शपथ पत्र साक्ष्य प्राप्त कर सकता है ! 

3 किसी भी सार्वजनिक रिकॉर्ड का अनुरोध कर सकता है ! या फिर किसी भी अदालत या कार्यालय से मामले प्रतियां प्राप्त  कर सकता है ! 

4 गवाहों या दस्तावेजों की जांच के लिए आदेश जारी कर सकता है ! 

5 सूचना आयोग इस अधिनियम के तहत किसी भी शिकायत की जांच के दौरान किसी भी रिकॉर्ड की जांच कर सकता है  जिस पर यह अधिनियम लागू होता है जो सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण में है ! पर किसी भी आधार पर इस तरह के  रिकॉर्ड को रोक नहीं सकता !


RTI Act 2005 धारा 8

इस अधिनियम की धारा 8 में निम्नलिखित बातों का उल्लेख किया गया है ! जिनकी  जानकारी RTI के द्वारा भी प्राप्त नहीं की जा सकती है ! क्योकि ऐसी जानकारी की सूचना आम व्यक्ति को प्रदान करने से  भारत की संप्रभुता प्रभावित होगी ! - 

1  कोई भी ऐसी जानकारी जिससे देश में दंगे होने की संभावना है तो उसकी जानकारी आरटीआई द्वारा प्राप्त नहीं की जा  सकती है !

2  ऐसी जानकारी प्राप्त नहीं की जा सकती जिसे न्यायालय द्वारा प्रकाशित करने पर स्पष्ट रूप से मना किया गया है !

3  सूचना जिसके प्रकृटीकरण से संसद या राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन होगा ! 

4  ऐसी सूचना जिसमें व्यवसायिक विश्वास, व्यापार रहस्य या बौद्धिक संपदा शामिल है ! तो उसकी जानकारी नहीं दी  जाएगी ! उदाहरण के लिए कोका कोला की रेसिपी !

5  ऐसी जानकारी जो उसे सरकारी पद पर रहते हुए प्राप्त है ! किंतु उसे आम जनता को प्राप्त नहीं होनी चाहिए थी ! तो ऐसी  जानकारी नहीं दी जाएगी ! जैसे सेना का गुप्त मिशन !

6  विदेशी सरकार से संबंधित गुप्त सूचना जिसे जनता को पता नहीं होनी चाहिए ऐसी सूचना !

7  ऐसी सूचना जिसके बताने से किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है तो इस प्रकार की  सूचना नहीं दी जाएगी !

8  ऐसी सूचना जो अपराधिक या अपराधियों की जांच या आशंका या अभियोजन की प्रक्रिया को बाधित करती है !

9  मंत्रिमंडल से संबंधित पेपर व् जानकारी, कैबिनेट से संबंधित जानकारी नहीं दी जाएगी !

10 ऐसे जानकारी भी नहीं दी जाएगी जो व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित है जैसे कब नहाता है कब खाता है कब कहा  जाता है इत्यादि जानकारी नहीं दी जाएगी !

11 केंद्रीय खुफिया एजेंसी और सुरक्षा एजेंसी जैसे IB / RAW, राजस्व खुफिया निदेशालय, केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो,  प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, एविएशन रिसर्च सेंटर, स्पेशल फ्रंटियर फोर्स, BSF / CRPF / ITBP / CISF /  NSG, असम राइफल, विशेष सेवा ब्यूरो, अंडमान निकोबार दीप समूह की CID विशेष शाखा, दादर नगर हवेली की CID  अपराध शाखा, साथ ही इसमें राज्य सरकारों द्वारा स्थापित समान एजेंसी को भी शामिल किया जाएगा ! लेकिन  भ्रष्टाचार और मानव अधिकार से संबंधित जानकारी दी जाएगी ! वह भी केंद्र या राज्य सरकार के सूचना आयोग के अनुमोदन से ही दी जाएगी !


Right To Information Amendment Bill 2019 ( सुचना का अधिकार संशोधन बिल 2019 ) 

यह बिल विधेयक  केंद्र में मुख्य सुचना आयुक्त (Chief Information Commissioner -  CIC ) और राज्य में सुचना आयुक्तों ( Information  commissioner -IC )की सेवा की शर्तो में बदलाब करता है -