Act क्या है
एक Act कैसे बनता है इससे पहले हमें जानना होगा की Act क्या है - Act ( अधिनियम ) एक कानून होता है जिस कानून के तहत किसी देश की शासन व्यवस्था को चलाया जाता है ! Act दरसल हमारे देश में 2 प्रकार से बनाये जाते है !
केंद्र सरकार किस तरहा से Act बनाती है
आज हम केंद्र सरकार किस तरहा से Act बनाती है इसके बारे में जानेगे ! दरसल हमारे देश में केन्द्रीय सरकार में कानून बनाने का अधिकार ( right ) सिर्फ संसद ( parliament ) के पास है ! एक कानून बनाने की प्रक्रिया को संसद में 3 चरणों में पूरा किया जाता है -
1. तैयारी ( Preparation )
जब सरकार को जिस भी विषय से संबंधित कानून बनाना होता है ! उसके लिए सबसे पहले सरकार ड्राफ्ट पेपर तैयार करती है ! अर्थात कच्चा बिल तैयार करती है ! उसके बाद बनाए गए पेपर पर discuss किया जाता है ! उसकी कमियों को दूर किया ! जिसमें वे उस विषय से संबंधित कुछ एक्सपर्ट लोगों की सलाह लेते हैं !और अंत में ड्राफ्ट पेपर ( कच्चा बिल ) को एक वास्तविक बिल फॉर्मेट (पक्का बिल ) में बदलते हैं और प्रेजेंटेशन के लिए भेज दिया जाता है ! इस पूरी प्रक्रिया को Preparation कहा जाता है !
2. प्रस्तुतीकरण ( Presentation )
जो वास्तविक विल होता है ! उस बिल फॉर्मेट को संसद के अंदर लोकसभा या राज्यसभा में पेश किया जाता है ! जहां पर विपक्ष और पक्ष अपने-अपने मत रखते हैं ! विपक्ष कुछ कमियां बताता है तो वही पक्ष बिल के उसके फायदो के बारे बताता है ! बिल जो कमियां होती है ! उन कमियों में द्वितीय स्तरीय सुधार किया जाता है ! और अंत में बिल को राज्यसभा व लोकसभा से पूर्ण बहुमत के साथ पास करवाया जाता है ! इस पूरी प्रक्रिया को हम प्रस्तुतीकरण ( Presentation ) के अंतर्गत रखते हैं !
3. मतदान व् हस्ताक्षर ( Voting and signature )
जब बिल को संसद में पेश किया जाता है और बिल में लगता है की कुछ कमी नहीं है ! तो संसद के दोनों सदन ( लोकसभा व राज्यसभा ) से बिल पर सहमति ली जाती है अर्थात मतदान लिया जाता है ! जब पूर्ण बहुमत से मतदान प्राप्त हो जाता है ! तो बिल को पास जाता है ! और बिल को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया जाता है !
आगे की कार्यवाही में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हैं ! जब बिल राष्ट्रपति के पास पहुंचता है ! तो राष्ट्रपति बिल को गंभीरता से पड़ता है ! राष्ट्रपति को बिल में अगर कुछ कमियां लगती है ! तो उस बिल को पुनर्विचार के लिए भेज सकता है ! अन्यथा अगर कुछ कमियां नजर नहीं आती है ! तो बिल पर हस्ताक्षर कर देता है ! जिस दिन राष्ट्रपति बिल पर हस्ताक्षर करता है ! उस दिन बिल, अधिनियम ( वास्तविक कानून ) रूप ले लेता है और इस तरह एक बिल तीनों चरणों से होकर गुजरता है और अंतिम चरण की ओर पहुंचता है !
Official gadgets ( अधिकारिक गैजेट )
जब किसी बिल को संसद के दोनों सदनों में बहुमत के साथ पास कर दिया जाता है ! तो उस बिल को राष्ट्पति के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है ! जब राष्ट्पति बिल पर हस्ताक्षर कर देता है ! तो बिल Act ( अधिनियम ) बन जाता है ! और जिस दिन बिल को अधिकारिक गैजेट ( Official Gadgets ) में प्रकाशित कर दिया जाता है ! तो दिन से वह Act ( अधिनियम ) सम्पुरण देश पर लागु हो जाता है !
भारत का कानून आयोग ( low commission of India )
यह एक कार्यकारणी निकाय ( executive body ) है जिसकी स्थापना भारत सरकार दुबरा की गयी थी ! जिका मुख्य कार्य कानून बनाने के लिए आदेश देना, कानून में सुधार के लिए बोलना है ! जिसके लिए यह कानून आयोग की स्थापना करती है ! वर्तमान में 21 कानून आयोग चल रहे है !
इन कानून आयोग ( low commission ) के अन्दर कमेटी बनायीं जाती है 1 जो समय - समय पर सरकार को बताती है की देश के अंदर कोनसा कानून नया बनाना है ! और कोनसा पुराना कानून में सुधार की आवश्यकता है !
सयुक्त अधिवेशन या बैठक ( joint meeting )
जब किसी बिल को लेकर लोकसभा व् राज्यसभा में मतभेद हो जाता है ! या संसद का कोई भी सदन बिना किसी मतभेद के कारण किसी बिल को 6 माह तक रोक लेता है ! तो ऐसे में संसद की सयुक्त अधिवेशन ( राज्यसभा व् लोकसभा दोनों की बैठक ) बुलाई जाती है ! जिस में बिल को साधारण बहुमत से पास किया जाता है !
इस अधिबेशन में संसद के दोनों सदन ( लोकसभा व् राज्यसभा ) के साथ साथ राष्ट्पति भी भाग लेते है ! इस बैठक की अध्यक्षता लोक सभा का अध्यक्ष करता है अगर लोकसभा अध्यक्ष अनुपस्थित है ! तो उपाध्यक्ष और उपाध्यक्ष की अनुपस्थित में उपसभापति और उपसभापति की अनुपस्थित में संसद का वरिष्ट सदस्य अध्यक्षता करता है !
सयुक्त अधिबेशन बुलाने का प्रावधान संसद को भारतीय सविधान का अनुछेद 108 देता है ! धन विधेयक या सविधान संशोधन के सम्बन्ध में सयुक्त बैठक बुलाने का प्रावधान नहीं है !
राष्ट्पति संसद दुवरा पारित किसी भी बिल को अपने पास जेवी या पाकेट बिटो के तहत अनिश्चित काल के लिए लंबित रख सकता है !
धन बिधेयक को छोड़कर किसी भी अन्य बिधेयक को राष्ट्पति पुनविचार के लिए लोटा सकता है परन्तु संसद पुनविचार के बाद दुबरा राष्ट्पति के पास भेजते है तो राष्ट्पति को हस्ताक्षर करना पड़ेगा !


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