➠ ब्राह्मण साम्राज्य में तीन राजवंशो का योगदान रहा - (१) शंगु वंश, (२) कण्व वंश, (३) सातवाहन वंश
शंगु वंश
➤ शंगु वंश कि स्थापना - हर्षचरित्र के अनुसार जब एक दिन मौर्य सम्राट ब्रह्द्थ वह सेना का निरिक्षण कर रहा था तब उसके सेनानी पुष्यमित्र ने उसकी उसकी हत्या कर डाली | और मगध पर शंगु वंश कि स्थापना कर दी |
➤ पुष्यमित्र शंगु ब्राहमण जाति का था |
➤ शंगु शासको ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की थी |
➤ इंडो यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र ने पराजित किया था |
➤ पुष्यमित्र शंगु ने दो बार अश्बमेध यज्ञ किया था | पुष्यमित्र का प्रधान पुरोहित पतंजली था | जिसने संस्कृत भाषा में महाभाष्य पुस्तक लिखी |
➤ पतंजलि का जन्म मध्यप्रदेश के गोडरा नामक स्थान पर हुआ |
➤ पुष्यमित्र शंगु का पुत्र अग्निमित्र था जिसे नायक बनाकर भारत के सेक्सपियर कालिदास ने " मालविकाग्निमित्र " पुस्तक लिखी |
➤ भरहुत का स्तूप ( महाराष्ट्र ) पुष्यमित्र शंगु ने बनबाया जिसे 1870 में भारतीय पुरातत्व का जनक एलेक्जेंडर कनिगम ने खोजा था |
➤ शंगु वंश का अंतिम शासक देवभूति था जिसकी हत्या 72 ईसा पूर्व में वसुमित्र ने कर दी और एक नये वंश कण्व वंश कि स्थापना कि |
कण्व वंश
➤ कण्व वंश का सस्थापक वासुदेव था |
➤ इस वंश का ज्यादा कुछ प्रमाण नही मिलता है कण्व वंश ब्राह्मण जाति के थे |
➤ कण्व वंश का अंतिम शासक शुशर्मा था जिसे सातवाहनो ने 60 ईसा पूर्व में गद्दी से हटा दिया था |
0 Comments
एक टिप्पणी भेजें
Welcome to DRK Knowledge