➠ मौर्यकालीन भारत कि अबस्था का ज्ञान प्राप्त करने के लिया हमारे पास तीन प्रमख साधन है - (१) मेगस्थनीज का वर्णन, (२) अर्थशास्त्र और (३) अशोक के अभिलेख | यहा हम तीनो साधनों का उपयोग करगे -
• वर्ण व्यवस्था - अशोक के पाचवा शिलालेख के अनुसार समाज अनेक वर्णों में विभक्त था ब्राह्मण वर्ग का समाज में अधिक आदर था | क्षत्रियो के सम्बन्ध में अशोक के शिलालेख में उल्लेख नही मिलाता है वे अधिकाश शासक अथबा सैनिक होते थे | अशोक स्वय एक क्षत्रिय शासक था इसमें शुद्र वर्ण भृत्य तथा दास सम्मिलित थे इस वर्ग का समाज में हिन् स्थान था |
• विवाह - कौटिल्य ने आठ प्रकार के विवाह का उल्लेख किया है अंतिम चार विवाह ( गान्धर्व, आसुर, राक्षस,और पैशाव ) अधार्मिक समझे जाते थे | मेगस्थनीज ने आर्ष विवाह का उल्लेख किया है जिसमे पिता एक जोड़ी बैल के बदले में अपनी पुत्री का बिवाह करता था | नियार्कस ने तो विवाह कि स्वयम्वर-रीती का भी उल्लेख किया है जिसमे प्रतियोगिता में विजय प्राप्त करने वाले को कन्या दी जाती थी | अशोक के अभिलेखों के अनुसार समाज में बहूविवाह प्रचालन थे | चाणक्य ने विवाह कि 3 प्रमुख शर्त रखी थी - (१) यदि पत्नी के 8 बर्षो तक कोई संतान नही हुई हो, (२) यदि 12 बर्षो तक उसे कोई पुत्र नही हुआ केबल पुत्री हुई हो, (३) यदि पत्नी मर गयी है | तो वह व्यक्ति का पुन विवाह हो सकता है |
• स्त्री समाज - समाज में स्त्री कि दशा बहुत संतोसजनक नही थी स्त्रियों को केबल संतान उत्पन्न करने का साधन मात्र समझा जाता था वे प्राय घर में ही रहती थी अर्थात मौर्य काल में पर्दा-प्रथा प्रचलन में थी |कौटिल्य ने स्त्रियों के लिए उच्च शिक्षा वर्जित बताई है |
• दास प्रथा - अशोक के अभिलेखों से दासो, सेवको,भर्त्यो तथा अन्य प्रकार के श्रमिकजीवियो के उल्लेख मिलते है अर्थशास्त्र में दास प्रथा का विस्तृत वर्णन मिलाता है | दास प्राय अनार्थ होते थे जो बचे और खरीदे जा सकते थे तत्कालीन समाज में दासो के साथ अच्छा व्यवहार किया जाता था उनका अपने माता पिता कि सम्पति अप अधिकार था |
• भोजन पान - समज में मांसाहार का भी प्रचलन था स्वयं अशोक के रंधनागार के लिए प्रतिदिन बहुतसंख्या में पशु-पक्षियों कि हत्या कि जाती थी परन्तु बौध होने पर अशोक ने पशु-पक्षियों कि हत्या पर रोक लगबा दी थी | साधारण खाने में चावल का अधिक प्रयोग करते थे तथा मदिरा का सेवन केवल उच्च अधिकारी करते थे जिसकी भी एक सीमा निश्चित थी |
• नैतिक स्तर - माता-पिता कि आज्ञा मानना, गुरुजन का आदर करना, सम्बन्धियों, मित्रो और पड़ोसियों के प्रति उदार एवम उचित बर्ताब करना, अहिंसा, दान, क्षमा, सत्य आदि चरित्र गुणों का विकास था |
• सौन्दर्य प्रेम - यूनानी लेखक कहता है कि ' अपने आचार कि सादगी के बाबजूद वे वरिकी और सुन्दरता के प्रेमी है उनके वस्त्रो पर सोने का काम किया रहता था वे अत्ययन्त सुंदर मलमल के बने वस्त्रो का उपयोग करते थे सेवक-गण उनके पीछे छाता लगये चलते थे |
अशोक ने अनेक स्तम्भों का निर्माण करवाया था - प्रयाग स्तम्भ ( इसे अकबर कौशाम्बी से अपने इलाहाबाद के किले में लाया था), दिल्ली-टोपरा स्तम्भ ( इसे फिरोजशाह तुगलक टोपरा से दिल्ली लाया था टोपरा हरियाणा में जगाधरी से 11 किलो मीटर दूर है), दिल्ली स्तम्भ ( इसे भी फिरोजशाह मेरठ से दिल्ली लाया था ), रुमिन्देही स्तम्भ, निगिल्वा स्तम्भ, सारनाथ स्तम्भ, साँची स्तम्भ, रामपुरवा स्तम्भ (इसके शीर्ष पर सिह है ), लौरिया स्तम्भ, लौरिया अरराज स्तम्भ, कौशाम्भी स्तम्भ, रामपुरवा स्तम्भ ( इसके शीर्ष पर वृषभ है ), वैशाली स्तम्भ, संकिसा स्तम्भ ( इसके शीर्ष पर हाथी है )|
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