➠ हर्यक वंश के संस्थापाक विम्विसार था हर्यक वंश के कुल चार शासक हुए - विम्विसार, अजातशत्रु, उदायिन , नागदशक |
1. विम्विसार - 544 ईसा पूर्व से 493 ईसा पूर्व
➤ हर्यक वंश के संस्थापक विम्विसार 544 ईसा पूर्व मगध के गद्दी पर बैठा था वर्तमान बिहार व् झारखण्ड कि धरती मगध साम्राज्य हुआ करती था विम्विसार ने सर्वप्रथम अपने मगध साम्राज्य के राजधानी ग्रिरीव्रज ( कुशाग्रपुर ) को बनाई परन्तु यह नगर बज्जि संघ के आक्रमण से सुरक्षित नही था अतः वज्जि का सामना करने के लिए ग्रीरीब्रज के उत्तर में " राजगृह नामक " एक दूसरी राजधानी कि स्थापना की थी | विम्विसार ने उसके बाद अंग राज्य पर आक्रमण कर अंग साम्राज्य का शासक ब्रहादथ को पराजित किया था अंग राज्य को मगध में मिला लिया |
➤ विम्विसार एक कुशल राजनीतीज्ञ था उसे अभी भी कौशल, वत्स, अथबा अबन्ति राज्य का भय बना रहता था अतः विम्विसार ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए विवाह सम्बन्ध स्थापित किये |
➤ विम्विसार ने पहला विवाह कौशल नेरश प्रसेन्नजित कि बहन कोशलदेवी ( महाकोशला ) से किया इस विवाह के बाद न केबल कौशल मगध का मित्र बन गया वरन काशि ग्राम कि आय दहेज़ के रूप में प्राप्त हुई |
➤ विम्विसार ने बैशाली ( बज्जि ) संघ के शासक चेतक के पुत्री चेलना ( छल्ला ) के साथ विवाह किया और वैशाली से मित्रता स्थापित की |
➤ विम्विसार ने तीसरा विवाह मंद देश ( आधुनिक पंजाब ) के राजकुमारी खेमा / क्षेमा से किया था|
महावग्ग के अनुसार विम्विसार कि 500 रानिया थी सम्भब है कि उसने तत्कालीन कुछ अन्य राजवंशो के साथ भी विवाह सम्बन्ध स्थापित किये थे |
➤ मैत्री सम्बन्ध - विम्विसार ने मित्रता व्यहार से भी अपनी स्थिति मजबूत बनायी उसने अपने राजबैध जीवक को अबंति के राजा चंडप्रधोत जब पान्डु रोग से ग्रस्थ था तो विम्विसार ने चंडप्रधोत के उपचार करने के लिए भेजा इसके उपचार से चंडप्रधोत ठिक हो गया और विम्विसार से मित्रता अपना ली थी | इस तरह विम्विसार ने राजनीतक ज्ञान से आपने पड़ोसी राज्यों से मित्रता का व्यव्हार बना लिया अब विम्विसार को अपने पड़ोसी शक्तिशाली राज्यों से कोई डर नही रहा था क्योकि मगध ख़ुद एक शक्तिशाली राज्य बन गया था |
➤ विम्विसार बोध धर्म का आनुयायी था |
➤ विम्विसार ने लगभग 52 बर्षो तक शासन किया विम्विसार के हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने अपने चचेरे भाई देबद्त्त के भड़काने पर अजातशत्रु ने विम्विसार को करागृह में डाल दिया था जहा वह बिना अन्न व् जल के कारन तडफकर मर गया जिसका पच्याताप अजातशत्रु को बहुत समय बाद हुआ था |
2. अजातशत्रु - 493 ईसा पूर्व से 461 ईसा पूर्व
➤ विम्विसार के पश्च्यात अजातशत्रु मगध का शासक बना सयुक्त निकाय से प्रकट होता है के अजातशत्रु कौशलदेवी ( महाकोशला ) का पुत्र था परन्तु जैन साहित्य के अनुसार यह चेलना का पुत्र था |
➤ 493 ईसा पूर्व में अजातशत्रु मगध का शासक बना था अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था यह प्रारम्भ में to जैन धर्म का आनुयायी था परन्तु यह स्पष्ट नही है के बाद में इसने बोध धर्म अपनाया या नही |
➤ साम्राज्य विस्तार - अजातशत्रु साम्राज्यवादी था इसलिय उसने मंत्री वस्कार को वज्जि संघ ( वैशाली ) में फूट डालने के लिए भेजा उसके साथ ही अजातशत्रु ने वज्जियो पर आक्रमण कर दिया था अजातशत्रु ने युद्ध में रथमूसल तथा महाशिलाकण्टक हथियारों का प्रयोग किया और वज्जि संघ को पराजीत कर दिया था |
➤ अजातशत्रु ने दूसरा युद्ध कौशल नरेश प्रसेनंजीत से किया क्योकि विम्विसार तथा महाकोशला के मृत्यु के बाद काशी ग्राम कि आय जो दहेज में प्राप्त थी वह प्राप्त नही हो रही थी इसलिये अजातशत्रु ने कौशल साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया अंत में कौशल नरेश प्रसेनंजीत ने अजातशत्रु के साथ संधि कर ली थी की वह प्रसेनंजीत कि पुत्री बाजिरा से विवाह कर ले और काशी ग्राम को ही दहेज के रूप में प्राप्त करे |
➤ मगध साम्राज्य के अंदर अब अंग, वैशाली, काशी व् मगध राज्य थे |
➤ इतना बड़ा साम्राज्य हो जाने के बाद भी अजातशत्रु को अवन्ती साम्राज्य से भय था क्योंकि अवन्ती का राजा चंडप्रधोत बड़ा शक्तिशाली राजा था वह कभी भी मगध पर आक्रमण कर सकता था इसलिए उसने पहले तो राजगृह का दुर्गीकरण करबाया उसके पश्चात वह चंडप्रधोत ( अवन्ती का राजा ) से युद्ध करता कि उससे पूर्व उसकी मृत्यु हो गयी थी |
➤ अजातशत्रु ने कुल 32 बर्षो तक शासन किया |
➤ अजातशत्रु के शासन काल में प्रथम बोद्ध संगती (483 ईसा पूर्व ) राजगृह में हुई महापरिनिर्माण बोद्ध ग्रन्थ के अनुसार महात्मा बुद्ध के दाह संस्कार के पश्च्यात अजातशत्रु ने कुछ अवशेषों को लेकर राजगृह में एक स्तूप बनवाया था |
3. उदयिन - 461 ईसा पूर्व से 445 ईसा पूर्व
➤ अजातशत्रु कि मृत्यु के पश्च्यात उदयिन उत्तराधिकारी के रूप में मगध की गद्दी पर बैठा यह जैन धर्म का आनुयायी था उदयिन ने किसी कारण वश राजगृह को सुरक्षित नही समझा और मगध साम्राज्य के नयी राजधानी गंगा व् सोन नदी के किनारे पाटलीपुत्र / कुशुमपुर ( वर्तमान पटना ) को बनायीं |
➤ जब उदयिन 461 ईसा पूर्व मगध कि गद्दी पर बैठा उस समय उदयिन अपने पिता के भाती साम्राज्यवादी प्रतीत होता है उदयिन ने एक पडोसी राज्य पर आक्रमण किया और उस राज्य के राजा को मार डाला, राजा के पुत्र ने अबन्ति कि राजधानी उज्जैनी में जाकर शरण ली कालान्तर में उसी राजकुमार ने जैन साधू का वेश धारण करके पाटलीपुत्र में जाकर सोते हुए उदयिन कि हत्या कर दी | इस प्रकार उसके पिता कि हत्या का बदला लिया | उदयिन ने कुल 16 बर्षो तक शासन किया |
4. उदयिन का उत्तराधिकारी - 445 ईसा पूर्व से 412 ईसा पूर्व
➤ उदयिन कि मृत्यु के पश्च्यात 445 ईसा पूर्व में नागदशक मगध की गद्दी पर बैठा लेकिन कुछ समय पश्च्यात ही पोरों, आमात्य, और मंत्रियो ने नागदशक को सिहांसन से उतारकर अमात्य शिशुनाग के मगध साम्राज्य कि गद्दी पर बैठा दिया |
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