➠  शिशुनाग वंश का संस्थापक शिशुनाग था इस वंश में कुल तीन शासक हुए थे - शिशुनाग, कालाशोक, नन्दीवर्धन

1.  शिशुनाग - 412 ईसा पूर्व से 394 ईसा पूर्व 

➤  शिशुनाग 412 ईसा पूर्व मगध कि गद्दी पर बैठा | महावंश टिका का कथन है कि शिशुनाग वैशाली के एक लिच्छवी राजा तथा एक स्थानीय नगर-शोभिनी कि संतान थी चुकी वैशाली से संवंधित होने के कारण  इसने सर्वप्रथम अपनी राजधानी वैशाली को बनाया | 

➤  अबन्ति से युद्ध - शिशुनाग ने अबन्ति साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया क्योंकी चंडप्रोधोत की मृत्यु के बाद अबन्ति को कोई भी शक्तिशाली राजा नही मिला जो अबन्ति के साम्राज्य को सभाल सकता हो अर्थात अबन्ति एक शक्तिशाली साम्राज्य नही रहा इस मोके का फायदा उठा कर अबन्ति राज्य पर आक्रमण कर शिशुनाग ने अबन्ति साम्राज्य को मगध साम्राज्य में मिला लिया था |

➤  अबन्ति विजय के पश्च्यात मगध उत्तर भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बन गया ऐसा मान्य है कि शिशुनाग ने अबन्ति के पश्च्यात कौशल, बंगाल, मालवा को भी अधिकार क्षेत्र में कर लिया था | 394 ईसा पूर्व में शिशुनाग के  मृत्यु हो गयी |

2. कालाशोक - 394 ईसा पूर्व से 366 ईसा पूर्व 

➤  शिशुनाग ने लगभग 18 बर्षो तक शासन किया उसकी मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी पुत्र कालाशोक मगध का राजा बना कालाशोक ने वैशाली का परित्याग करके पाटलीपुत्र को राजधानी बनाया |

➤  कालाशोक के शासन काल के 10 वे बर्ष दितीय बोद्ध संगती का आयोजन हुआ इस समय बोद्ध धर्म दो सम्प्रदायों में बंट गया था स्थविर और महासाधिका |

➤   कालाशोक के मृत्यु पाटलीपुत्र नगर के बाहर किसी ने गले में छुरा भोंक कर हत्या कर दी थी अतः स्पष्ट है कि कालाशोक किसी षड्यंत्र का शिकार हुआ था |

➤  कालाशोक ने लगभग 28 बर्षो तक मगध पर शासन किया था |

3 कालाशोक का उत्तराधिकारी - 366 ईसा पूर्व से 344 ईसा पूर्व  

➤ बोध साहित्य से प्रकट होता है कि कालाशोक ( काकवर्ण ) के पश्च्यात उसके 10 पुत्रो ने सम्मिलित रूप से 22 बर्षो तक शासक किया उसके पश्च्यात शिशुनाग वंश कि समाप्ति हो गयी और नन्द वंश का राज्य प्रारम्भ हुआ |