➤  दीप वंश और महावंश में बिन्दुसार कि 16 रानिया तथा 101 पुत्रो का उल्लेख है | महावंश में बिन्दुसार के सबसे बड़े पुत्र का नाम सुसीम है अशोक सुसीम का सोतेला भाई था |

➤  प्रान्तीय शासक - राज्य प्राप्त करने से पूर्व ही अशोक को प्रशासकीय कार्यो का पर्याप्त अनुभब प्राप्त हो चूका था बोद्ध ग्रंथो से प्रकट होता है कि वह बिन्दुसार के शासन काल में तक्षशिला और अबन्ति का प्रान्तीय शासक रह चुका है | 1975 में मध्यप्रदेश के सेहोर जिले में स्थित पानगोरादिया ( बुधनी ) कि एक गुहा में एक लेख प्राप्त हुआ है जिसमे अशोक को महाराजकुमार कहा गया है | इससे विदित होता है कि वह उज्जेनी में अपने पिता बिन्दुसार के अधीन गवर्नर रहा होगा |

➤  उत्तराधिकार के लिए युद्ध - ऐसा प्रतीत होता है कि बिन्दुसार के जीबन काल में ही उत्तराधिकार का प्रश्न विवादग्रस्त हो गया  था  सिंहली बौध धर्म ग्रन्थ ( श्री लंका का धर्म ग्रन्थ ) के अनुसार अशोक अपने 99 भाइयो को मार कर गद्दी पर बैठा | इस कार्य में उसे 4 बर्ष ( 273 ईसा पूर्व से 269 ईसा पूर्व ) का समय लगा | अशोक ने राधागुप्त कि सहायता से सिंहासन प्राप्त किया राधागुप्त उसका प्रधान मंत्री बना था |

➤  अशोक प्रारम्भ में शिव का आनुयायी था किन्तु बाद में अपने गुरु उपगुप्त कि प्ररेणा से बौध धर्म का आनुयायी बन गया था |

➤  मास्की तथा गुर्जरा अभिलेख में अशोक का नाम अशोक मिलता है अशोक कि माता का नाम सुभद्रांगी / धम्मा था |

➤  सम्राट अशोक ने प्रियदर्शी कि उपाधि धारण कि थी |

➤  कलिंग युद्ध - साधारणतया कलिंग को पूर्वी समुद्र तट पर स्थित महानदी और गोदावरी नदियों के बिच का प्रदेश माना जाता था उस समय इसकी राजधानी तोसली थी | अशोक ने अपने अभिषेक के 8 बे बर्ष में कलिंग के शासक नन्दराज को हराया कलिंग वर्तमान में आधुनिक उड़ीसा में है |

➤  कलिंग पर आक्रमण के बसे तो अनेक कारण थे परन्तु ऐसा कहा जाता है कि अशोक अपने पूर्वजो कि भाती साम्राज्यवादी और विस्तारवादी था अधिकांश भारत पर उसका अधिकार था बंगाल तथा दक्षिण भारत मौर्यों के अधिपत्य में होने के कारण कलिंग दोनों और से घिर गया था अतः अशोक ने उस पर अधिकार करना आवश्यक समझा अशोक ने अधिकार के लिए कलिंग पर आक्रमण किया और कलिंग कि राजधानी तोसली पर अधिकार कर लिया इस युद्ध का उल्लेख 13 बे शिलालेख में मिलता है इस युद्ध में बहुत अधिक जन-धन कि हानि हुई थी |

➤  ऐसा प्रतीत होता है कि कलिंग युद्ध समाप्ति पश्च्यात जब अशोक युद्ध मैदान में गया था तो लोग के मृत शरीर तथा अंग भंग लोगो को तड़फते देखा था | और देखा था कि एक बोद्ध भिक्छु उन पीड़ित व्यक्तियो को पानी पिला रहा था ऐसा देख अशोक का ह्रदय परिवर्तन हुआ और उसने कभी युद्ध नही लड़ने कि प्रतिज्ञा ली | अशोक ने उपगुप्त नामक बोद्ध भिक्छु से बौध धर्म कि दीक्षा ली इस तरहा ह्रदय परिवर्तन कि पश्च्यात अशोक ने बौध धर्म अपनाया लिया |

➤  बोद्ध धर्म अपनाने के पश्च्यात अशोक ने बौध धर्म का प्रचार किया तथा अपने पुत्र महेन्द्र व् पुत्री संघमित्रा को श्री लंका बौध धर्म का प्रचार के लिए, श्री लंका के शासक तिस्स के पास भेज दिया था | और अभिषेक के 18 बे बर्ष 251 ईसा पूर्व में बोद्ध धर्म कि तीसरी बौध संगती करबायी थी इस संगती में अभिधम्म पिटक जोड़ा गया था |

➤  भारत में शिलालेखो का प्रचलन सर्वेप्रथम अशोक ने किया अशोक ने अपने शिलालेख चार भाषा ( ब्राह्मी, खरोष्टि, अल्पाइन तथा ग्रीक भाषा ) में लिखे थे | ग्रीक भाषा तथा अल्पाइन भाषा का अभिलेख अफगानिस्तान में खरोष्टि भाषा का अभिलेख उत्तर-पक्षिम  पाकिस्तान तथा शेष भारत में ब्राह्मी भाषा में अभिलेख लिखे थे |

➤  अशोक कि मृत्यु 232 ईसा पूर्व में पाटलीपुत्र में हो गयी थी |

➤  अशोक के शिलालेखो कि खोज सर्वप्रथम 1750 में टी-फैन्थेलर ने कि थी | तथा इस लेखो को पड़ने में पहली सफलता 1837 में जेम्स प्रिसेप को मिली थी |

➤  कौशाम्बी अभिलेख को रानी का अभिलेख कहा जाता है इस अभिलेख में अशोक कि रानी तारुवाकी व् पुत्र तीवर का उल्लेख मिलाता है यह एक स्तम्भ लेख है जो पहले कोशाम्भी में था इस स्तम्भ को अकबर इलाहाबाद कि किले में स्थापित करबाया था |

➤  अशोक के स्तम्भों में सबसे छोटा अभिलेख लुम्बिनदेही  है | इसी में लुम्बनी में धम्म यात्रा के दोरान अशोक भूराजस्व कि दर को घटाया था जिसका उल्लेख इस अभिलेख में है |

➤  अशोक का शर- ए- कुना (कंदहार ) अभिलेख ग्रीक एवम् अरमाइक दोनों भाषाओ में मिलता है |

➤  अशोक का भाब्रू अभिलेख ( बैराठी कि पहाड़ी - जयपुर ) में बोद्ध, धम्म व् संघ कि चर्चा कि गयी है |

अशोक के प्रमुख शिलालेख 

1.  पहला शिलालेख - इस अभिलेख में पशुबलि पर निंदा कि गयी है |
2.  दूसरा अभिलेख - इस अभिलेख में पशुबलि कि रोक कि साथ चिकित्सा व्यवस्था का उल्लेख मिलता है |
3.  तीसरा अभिलेख - इसमें राजकीय अधिकारियो को प्रत्येक पाच बर्ष पश्च्यात दौर पर जाने का आदेश तथा कुछ धार्मिक नियमो का उल्लेख मिलता है |
4.  चौथा अभिलेख - इस अभिलेख में भेरी घोष कि जगह धम्म घोष कि घोषणा कि है |
5.  पांचवा अभिलेख - इसमें धर्म महामात्यों कि नियुक्ति के विषय में जानकारी मिलती है |
6.  छठा अभिलेख - इसमें आत्मा नियंत्रण कि शिक्षा दी गयी है |
7. सांतवा अभिलेख - अशोक कि तीर्थयात्रा का उल्लेख है |
8.  आठबा अभिलेख - अशोक कि तीर्थयात्रा का उल्लेख है |
9. नवां अभिलेख - सच्ची भेट व् सच्चे शिष्टाचार का उल्लेख है |
10.  द्सबा अभिलेख - इस अभिलेख में अशोक ने आदेश दिया है कि राजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में सोचे |
11. ग्यारहवा अभिलेख - धम्भ कि व्याख्या कि है |
12.  बारहबा अभिलेख - स्त्री महामात्यों कि नियुक्ति तथा सभी प्रकार के विचारो के सम्मान कि व्याख्या कि है |
13. तेहरवा अभिलेख - इसमें कलिंग युद्ध, ह्रदय परिवर्तन तथा पडोसी राजाओ का वर्णन मिलता है |
14. चोदहवा अभिलेख - अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन बिताने के लिए प्रेरित किया है |