➠  संस्थापक -  मौर्य वंश के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य था यह चाणक्य / विष्णुगुप्त / कोटिल्य के मदद से मगध कि गद्दी पर बैठा |

➠  मौर्य वंश के जानकारी के स्रोत - 

 1.  मैग्सिथनीज कि पुस्तक ( इंडिका )  - मैग्सिथनीज को यूनान शासक सल्युक्स निकेटर ने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार पाटलीपुत्र में भेजा था जो 303 ईसा पूर्व में भारत आया तथा 299 ईसा पूर्व में वापस चला गया मैग्सिथनीज कुल 5 बर्षो तक भारत रुका इसने एक इंडिका नामक पुस्तक लिखी जिसमे भारतीय साम्राज्य विवरण था इस पुस्तक के अनुसार मैग्सिथनीज ने भारत को 7 प्रजाति बतायी है | जिसमे सर्बाधिक जाति किसान ( कृषक ) है | साथ ही मैग्सिथनीज ने लिखा है कि भारत में कोई दास प्रथा नही है तथा अंकाल भी नही पड़ता है |

 2. अशोक के 14 शिलालेख से - अशोक के कुल 14 शिलालेख मिले जो प्राकृत भाषा में है | जिसमे 4 लिपि का प्रयोग किया गया है | (१) ब्राह्मी लिपि ( सर्बाधिक शिलालेख मिलते है ), (२) खरोष्ठी, (३)ग्रीक, (4) अल्पाइन ( इस लिपि के सबसे कम शिलालेख है ) | अशोक के शिलालेखो में सबसे बड़ा अभिलेख 7 वा तथा सबसे छोटा लुम्बनी देहि अभिलेख है |

 3.  अर्थशास्त्र पुस्तक - भारतीय राजनीतिक व्यवस्था पर लिखी पहली पुस्तक अर्थशास्त्र है जो संस्कृत भाषा में 15 अध्यायों में लिखी गयी जिसमे कुल 6000 श्लोक है | इसके लेखक चाणक्य / कोटिल्य / विष्णुगुप्त था |

 4.  विशाखदत्त कि पुस्तक मुद्रा राक्षस में मौर्य वंश कि जानकारी मिलती है |

➠  मौर्य वंश के शासक - 

मौर्य वंश के बैसे तो अनेक शासक हुए लेकिन प्रतापी मौर्य शासक निम्न लिखित ही थे  - (1) चन्द्रगुप्त मौर्य, (2) विन्दुसार, (3) मौर्य सम्राट अशोक |

1. चन्द्रगुप्त मोर्य - 322 ईसा पूर्व से 298 ईसा पूर्व 

➤  चन्द्रगुप्त कि जाति -  ब्राह्मण साहित्यों के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य को शुद्र जाति का बताया गया है | बोद्ध साहित्यों के अनुसार चन्द्रगुप्त मोर्य को क्षत्रिय जाती का बताया है |

➤  नन्द वंश का अंतिम शासक धनानंद था धनानंद ने एक दिन चाणक्य जब दरबार में था जब भरे दरबार विच चाणक्य का अपमान कर देने के कारण चाणक्य दरबार छोडकर चला गया था इस समय चाणक्य मगध साम्राज्य का प्रधानमंत्री था नन्द से अपमानित होकर गुस्से में चाणक्य जब जा रहा था तो मार्ग में कुछ बालक राजकिलम खेल, खेल रहे थे | चन्द्रगुप्त खेल में जीत कि बड़ी भाबना रखता था चन्द्रगुप्त कि यह हमेशा जीत कि भाबना चाणक्य को  बहुत अच्छी लगी और चन्द्रगुप्त को अपने साथ तक्षशिला विश्वविधालय ले गया यहाँ  पर चाणक्य ने चन्द्रगुप्त कि सम्पुरण शिक्षा  संपन्न करायी |

➤  चाणक्य ने धनानंद से अपने अपमान का बदला लेने के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य का सहारा लिया और 322 ईसा पूर्व में चन्द्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को पराजीत करके पाटलीपुत्र पर अधिकार कर लिया व् मगध पर एक नये रोमान्चकारी अध्याय मौर्य वंश कि स्थापना हो गयी |

➤  मौर्य वंश कि स्थापना के बाद चन्द्रगुप्त ने 322 ईसा पूर्व में जैन धर्म कि प्रथम जैन संगती करवायी ( पाटलीपुत्र में ) इस संगती के बाद जैन धर्म दो सम्प्रदायों में बंट गया श्वेताम्बर के प्रवर्तक स्थूलभद्र थे तथा पीताम्बर के प्रवर्तक भाद्र्भाहू थे |

➤  305 ईसा पूर्व में सेल्यूकस निकेटर ब चन्द्रगुप्त मौर्य के बिच भयानक युद्ध हुआ इस युद्ध में सेल्यूकस निकेटर पराजित हुआ इस युद्ध का वर्णन ऐल्पियानस में मिलाता है |

➤  सेल्यूकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्लेनिया ( हैलना ) का विवाह चन्द्रगुप्त के साथ किया तथा चार प्रान्त ( काबुल, कंधार, मकरान, व् हेरात ) दहेज स्वरूप दिये चन्द्रगुप्त ने भी 500 हाथी उपहार स्वरूप सेल्यूकस को दिये चन्द्रगुप्त तथा हैलना का विवाह भारतीय इतिहास का प्रथम अंतराष्ट्रीय विवाह कहलाता है |

➤  सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक राजदूत मेगस्थनीज को भेजा जिसने इंडिका नामक पुस्तक लिखी |

➤  चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रान्तपति पुष्यमित्र वैश्य ने सोराष्ट प्रान्त में सुदर्शन झील का निर्माण करबाया था |

➤  चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री चाणक्य ने अर्थशास्त्र नामक पुस्तक लिखी |

➤  298 ईसा पूर्व में मगध साम्राज्य में अकाल पड़ जाने के कारण चन्द्रगुप्त मौर्य अपने गुरु भाद्र्भाहू के साथ श्रवन वेल गोला ( कर्नाटक ) चले गये जहा चंद्रगिरी पहाड़ी पर संलेखना विधि ( अन्य व् जल त्याग कर ) से प्राण त्याग दिये थे |

➤  चन्द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म के आनुयायी था |

➤  चन्द्रगुप्त मौर्य ने कुल 24 बर्षो तक शासन किया उसका उत्तराधिकारी बिन्दुसार था