यूनानी आक्रमण - सिकंदर 

➤  पारसीक आक्रमण के पश्चात भारतबर्ष को यूनानी आक्रमण का सामना करना पड़ा | इस यूनानी आक्रमण का नेता सिकंदर महान था जिस समय सिकंदर महान ने भारतबर्ष पर आक्रमण किया उस समय इस देश में मध्यप्रदेश और प्रच्य्देश में तो विशाल नन्द साम्राज्य स्थित था परन्तु पशिमोत्तर भारतबर्ष कि दिशा बड़ी असन्तोषजनक थी | बे सम्प्रूर्ण प्रदेश छोटे-छोटे अनेक राज्यों में विभक्त थे इन सभी में पारस्परिक इर्ष्या-देष था अतः विदेशी आक्रमण के समय ये सयुक्त रूप से न लड़ सके | यही नही कुछ-एक ने तो अपने पड़ोसी राज्य के विरुद्ध सिकंदर को सहायता भी दी | इस राजनैतिक परिस्थित ने सिकंदर का कार्य सुगम कर दिया था |

सिकंदर कि जीवनी - सिकंदर का जन्म 356 ईसा पूर्व में हुआ इसके पिता फिलिफ था गुरु का नाम अरस्तु था फिलिफ 359 ईसा पूर्व में यूनान ( ग्रीक ) के मकदूनिया का शासक था इसकी हत्या 329 ईसा पूर्व में हुई इसका उत्तराधिकारी सिकंदर मकदूनिया का राजा वना सिकंदर का एक सपना था कि मे पुरी दुनिया पर राज करू |

➤  सिकंदर ने मकदूनिया से पचिमोत्तर प्रदेशों पर आक्रमण करता हुआ एक विशाल साम्राज्य बनता हुआ आगे बड़ता जा रहा था सिकंदर ने हरवामनी वंश के शासक दारा तृतीय को पराजित किया तथा हरवामनी के साम्राज्य ( ईरान ) को अपने साम्राज्य में मिला लिया | इस तरह सिकंदर बड़ी तेजी से छोट-बड़े सभी राज्य को जीतता हुआ आगे बढता जा रहा था | 

➤   सिकंदर का भारत प्रबेश - सिकंदर ने पचिमोत्तर भारत के छोटे-छोटे राज्यों को जीत लिया परन्तु इस छोटे छोटे राज्यों में गांधार व् पुरु राज्य प्रमुख थे |

➤  सिकंदर का फैलता साम्राज्य तथा तीव्र गति से आक्रमण व् मजबूत शक्ति के डर के कारण भारतीय सिमव्रती राज्य गांधार का आम्भी डर गया और हाथियों के सहित अनेक अमूल्य उपहार लेकर सिकंदर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और बिना किसी संकोच के सिकंदर के सामने अपनी अधीनता स्वीकार कर ली थी | भारतीय लिखित इतिहास में ये पहला देश-द्रोही है जिसने अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए देश के साथ प्रवंचना की थी |

➤  गांधार शासक आम्भी  के सहयोग से सिकंदर आगे बड़ा मार्ग में पुष्कलावती के राजा हस्ती ने लगभग तीस दिन तक यूनानियो का सामना किया अंत में लड़ते हुए वीर गति को प्राप्त हुआ | इस डर के कारन आस-पास के अन्य कबीलों ने आत्मसमर्पण कर दिया |

➤  अज्ञातजाती - सिकंदर आगे बड़ते हुए जब खैबर-दर्रे को पार कर रहा तथा आगे बड़ता जा रहा था तो कुनर कि घाटी में अज्ञातजाती ( मालवा व् क्षुद्रक जाति ) के लोगो ने बहुत परेशान किया ये अज्ञातनामा नगर कि अज्ञातजाती निशाना लगाने तथा पहाड़ो के चप्पे-चप्पे से अच्छी तरह वाकिव थी | परेशानी बड़ते देश सिकंदर के इन अज्ञातजाती के लोगो पर आक्रमण करना प्रारम्भ किया कुछ तो मारे गये तथा कुछ पहाड़ो में छुप गये थे इस तरहा सिकंदर ने इस अज्ञातजाती का सामना किया था |

➤  कुनर कि घाटी को पार कर सिकंदर ने बजोर कि घाटी को पार किया और आगे गौर नदी ( पंजकोर ) को पार कर मस्सग नगर पहुचा और मस्सग नगर पर आक्रमण कर दिया और अधिकार में कर लिया था |

➤  इस तरहा सिकंदर दुर्गम पहाड़ी व् घाटी को पार करते हुए सिन्धु नदी पर पहुचा अभी तक सभी युद्ध सिन्धु के पचिमोत्तर में किये थे |

➤  326 ईसा पूर्व में सिकंदर ने सिन्धु को पार किया था यहा सिकंदर ने अपनी सेना को पूर्ण एक मास का विश्राम दिया | गांधार शासक आम्भी का साम्राज्य कुछ सिन्धु के पूर्वोत्तर में भी था जब सिकंदर सिन्धु पार कर लिया तो आम्भी ने अपने सिन्धु पूर्वोत्तर सीमा क्षेत्रों को बचाने के लिए कुछ और धन उपहार भेजकर सिकंदर के सामने पूर्ण आत्म समर्पण हो गया सिकंदर ने खुश होकर गांधार राज्य सभालने के लिए वापस आम्भी को दे दिया |

➤  वितस्ता का युद्ध - सिकंदर ने अभी तक इतने शक्तिशाली शासक से युद्ध नही किया किन्तु अब सिकंदर के सामने एक शक्तिशाली शासक ( आधुनिक पंजाब का शासक पोरस ) था पोरस ने सिकंदर के लाख कहने पर भी आत्मसमर्पण नही किया सिकंदर को पोरस के साथ युद्ध करना पड़ा 326 ईसा पूर्व में यह युद्ध हुआ इस युद्ध को हाईद्रेस्पिच का युद्ध, झेलम का युद्ध वितस्ता का युद्ध आदि कहते है |

➤  वितस्ता के इस युद्ध का सामना सिकंदर में नही थी इस लिए सिकन्दर ने यूनानी चालाकी से पुरु के शासक पोरस को हराया था और पुरु पर अधिकार कर लिया था यह युद्ध सिकंदर के जीबन का सबसे भयानक युद्ध था |

➤  पुरु विजय कि पश्च्यात सिकंदर व्यास नदी के पश्चिम तट पर पहुचा जब पता चला कि आगे भारत का शक्तिशाली विशाल नन्द साम्रज्य है तो सिकंदर की सेना ने आगे जाने से मना कर दिया जिसके कारण सिकंदर को बापस लोटना पड़ा | जब सिकंदर वापस लोट रहा था तो रस्ते में क्षुद्रक व् मालबा जाती के लोगो ने फिर से सिकंदर को परेशान किया एक तीर सिकंदर के सीने पर लग गया था सिकंदर को बेबिलोनिया ले जाया गया जहा इसकी मृत्यु 323 ईसा पूर्व में हो गयी थी इस समय सिकंदर मात्र 33 बर्ष का था |

➤  सिकंदर भारत से लोटने से पूर्व विजय किये हुए राज्यों का कार्य भार अपने सेनापति सल्यूकस निकेटर को दे दिया था |

➤  सिकंदर के जल सेनापति निर्याकस  तथा थल सेनापति सल्यूकस निकेटर था |

➤   सिकंदर का प्रिय घोडा बउफेफुला था |

➤  सिकंदर भारत खबैर-दर्रे से आया था |


➤  सिकंदर ने भारत में दो नगर - बऊफेफुला तथा निक्कईया ( विजयनगर ) बसाया था |