पारसीक आक्रमण 

➤  जिस समय उत्तर - पूर्वी भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य कि स्थापना होने जा रही थी और इस दिशा में छोटे-छोटे राज्यों का एक बड़ा संघठन बनने कि प्रक्रिया चल रही थी उस समय भारत के पशिमोत्तर राज्यो में विशाल साम्राज्य स्थापना कि शक्ति नही थी सभी राज्य छोटे-छोटे राज्यों में बटे हुए थे | उत्तर भारत में गांधार और कम्बोज दो ही राज्य ऐसे थे जिन पर कुछ विशबास रखा जा सकता था किन्तु उनमे इस मात्रा ने शक्ति नही थी और ना ही इतनी राजनैतिक बुदीमत्ता थी कि वे किसी महत्वाकांक्षी विदेशी आक्रान्ता के अभियान को विफल बना सके | पारसिक नरेशो ने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया |

➤  कुरुष महान ( साइरस ) - इस समय पारसीक राज-सत्ता कुरुष महान के हाथो में थी जिसने लगभग 558 ईसा पूर्व से 530 ईसा पूर्व तक राज्य किया हेलेस्पान्त से लेकर मध्य एशिया तक उसने अपनी प्रभुता स्थापित कर रखी थी कुरुष महान कि द्रष्टि से उत्तर भारत बच नही सका | कुरुष महान ने भारत विजय के लिए एक मिशन भेजा | यह मिशन दुर्दांन्त कठिनाई के कारण बहुत थका हुआ भारत पहुचा था और तभी भारत पर आक्रमण कर दिया इसी गलती के कारण यह मिशन  भारतके गांधार साम्राज्य से पराजित हो गया था | कुरुष महान भारत पर दुबारा आक्रमण करता उससे पहले ही उसकी मृत्यु हो गई थी |


➤  कुरुष महान कि मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी दारा प्रथम बना इसने भी भारत पर अपनी निगाह कर रखी थी | दारा ने लगभग 522 ईसा पूर्व से 486 ईसा पूर्व तक राज्य किया तथा पूर्व के और ध्यान दिया और अपने पूर्वज कुरुष महान के प्रारम्भ किये आध्याय के पुरा करने का प्रयास करने लगा | उसके बेहिस्तुन, पर्सिपोलिस और नक्शे अभिलेख से ज्ञात होता है कि भारतीय अभियान में दारा प्रथम को कुरुष से कहि अधिक सफलता मिली थी | बेहिस्तुन अभिलेख से पता लगता है कि गांधार दारा के हाथो में चला गया था गांधार विजय के अनुसार भारत पर यह पहला सफल आक्रमण था |